दिल्ली | Article on Delhi in Hindi Language!
प्रस्तावना:
दिल्ली भारतवर्ष की ऐतिहासिक राजधानी है । यहाँ हर प्रकार के साधन, सुविधाएँ उपलब्ध हैं । प्राचीन काल में जो भी शासक हुए है, उन्होंने दिल्ली को ही भारत की राजधानी बनाया । दिल्ली के सभी स्थल दर्शनीय हैं, इसीलिए अतीत से सभी राजा-महाराजा यहाँ रहने के लिए लालायित रहते आये हैं ।
कवियों व शायरों ने सदैव दिल्ली के रूप-सौन्दर्य की प्रशसा की है । वर्तमान समय में दिल्ली सभी आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न है और सारे भारत का दिल है-दिल्ली ।
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दिल्ली का इतिहास:
भारत के प्राचीन इतिहास के साथ दिल्ली का इतिहास जुड़ा हुआ है । प्राचीन काल के सभी सम्राटों ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाने में गौरव का अनुभव किया है । इसका अत्यन्त प्राचीन नाम योगिनीपुर
था । महाभारत कालीन इन्द्रप्रस्थ यही था । ऐतिहासिक दृष्टि से पृथ्वीराज ने इसको महाराज अनंगपाल से प्राप्त किया था ।
पृथ्वी-राज का राज पिथौरागढ़ महरौली में स्थित था । कुछ विद्वानों के मतानुसार पृथ्वीराज ने ही इसको समस्त समृद्धियों का द्वार समझकर देहली नाम दिया जो बाद में बदल कर ‘दिल्ली’ बन गया । कुतुबुद्दीन आदि गुलाम वश का शासन भी यही पर था ।
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बाद में मुगलों ने इस देश को जीत कर आगरा को अपनी राजधानी बनाया, लेकिन वे भला दिल्ली को अपने दिल में क्यो न रखते । बाद में शाहजहाँ ने इसको अपनी राजधानी बनाया । अन्तिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर तक राजधानी दिल्ली में ही रहा । अंग्रेजो ने भारत पर अपना अधिकार जमा लिया और कलकत्ता को अपनी राजधानी बनाया ।
उन्होंने भी दिल्ली का महत्त्व समझकर सन् 1912 से दिल्ली को ही ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाया । बाद में उन्होने नई दिल्ली की स्थापना की जहाँ पर राष्ट्रपति भवन, ससद भवन, केन्द्रीय सचिवालय आदि का निर्माण किया गया । भारत के स्वतंत्र होने पर केन्द्र सरकार की राजधानी नई दिल्ली को ही बनाया गया ।
दिल्ली के दर्शनीय ऐतिहासिक स्थल-दिल्ली कितनी बार उजड़ी और कितनी बार पुन: बसी इसका निश्चय कर पाना असम्भव है । दिल्ली के हर कोने पर पुराने खण्डहर अपने अस्तित्व व वैभव की याद दिलाते हैं । इसलिए दिल्ली के प्रत्येक क्यल दर्शनीय हैं । यहाँ के ऐतिहासिक स्थल अपनी मूक भाषा में अपने वैभव व संस्कृति की कहानी सुनाते हैं जिनकी भाषा को कुशल मर्मज्ञ इतिहासकार ही समझ सकता है ।
दिल्ली का विशालकाय पुराना किला जिसको पाण्डवो का किला भी कहते हैं, प्राचीन वैभव व शेरशाह के शासन की याद दिलाता है । महरौली के आस-पास पुराने खण्डहर व गगन-चुम्बी कुतुबमीनार, विशाल लौह-स्तम्भ, मौर्य वश, पृथ्वीराज का पिथौरागढ़ व गुलाम वश के शासकों की स्मृति को ताजा करते है ।
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दिल्ली गेट के पास फिरोजशाह कोटला, तुगलक वश का स्मरण दिलाता है । पुरानी दिल्ली के दस दिशाओं के दस द्वार व लाल पत्थरो से निर्मित भव्य लाल किला मुगल सम्राटो की शानो-शौकत व स्थापत्य कला की याद दिला रहे हैं ।
दिल्ली का पुराना सचिवालय अग्रेजों के प्रारम्भिक शासन का प्रतीक है । इण्डिया गेट, राष्ट्रपति भवन, केन्द्रीय सचिवालय, ससद भवन आदि अग्रेजी साम्राज्य की व्यापकता को प्रदर्शित करते हैं । दिल्ली में एक राष्ट्रीय सगहालय देखने योग्य है जो पाषाण युग से आज तक के मानव इतिहास पर प्रकाश डालता है । इस प्रकार दिल्ली ऐतिहासिक स्थलों से भरी पड़ी है जो सब दर्शनीय हैं ।
दिल्ली के दर्शनीय धार्मिक स्थल-दिल्ली प्राचीन काल से विविध धर्मो का केन्द्र रहा है । आज भी यहाँ पर विविध धर्मो, सम्प्रदायो, जातियों के लोग मिल-जुलकर निवास करते है । यहाँ पर हिन्दू धर्म के अनेक मन्दिर विद्यमान हैं ।
जिनमें लक्ष्मी नारायण मन्दिर जिसको बिरला मन्दिर भी कहते हैं विशेष रूप से दर्शनीय है । बिरला मन्दिर संगमरमर का बना हुआ है जिसमें विविध देवी-देवताओं की मूर्तियाँ दर्शनीय हैं । इसके अतिरिक्त आर्य समाज मन्दिर, हनुमान मन्दिर, कालिका देवी जी आदि धर्म स्थल दर्शनीय हैं ।
दिल्ली में मुस्लिम धर्म के पूजा स्थलों में सैकड़ों मस्जिदें विद्यमान हैं जो धार्मिक प्रतीक के साथ-साथ ऐतिहासिक भी है । दिल्ली की शाही जामा मस्जिद प्रमुख मुस्लिम पूजा स्थल व ऐतिहासिक है जिसको शाहजहाँ ने बनवाया था ।
यहाँ पर सिख धर्म के अनेक स्थल हैं । दिल्ली का शीशगंज गुरुद्वारा, रकाबगज, बंगला साहिब अत्यन्त दर्शनीय व पूजनीय धर्म क्यल हैं । इन गुरुद्वारों से सिख गुरुओं के बलिदान की व धार्मिक भावनाएँ जुड़ी हैं 1 ईसाइयों का प्रमुख गिरजाघर राष्ट्रपति भवन के पास है ।
व्यापारिक क्षेत्र-दिल्ली में चाँदनी चौक, सदर बाजार, पहाड़ गज, करोल बाग, स्नॉट प्लेस आदि क्षेत्रों में अनेक प्रकार की वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता है । इन व्यापारिक क्षेत्रो में दिन भर इतनी भीड़ होती है कि आने-जाने के लिए रास्ता भी नहीं मिलता है ।
यहाँ पर दैनिक उपयोग की प्रत्येक वस्तुएँ उचित दाम पर उपलब्ध होती है । यहाँ भारत के दूर-दूर के क्षेत्रों से लोग सामान खरीदने आते है । दिल्ली का सदर बाजार हर प्रकार के सामान की बिक्री का प्रधान केन्द्र है ।
क्नॉट प्लेस में आधुनिक फैशन की वस्तुएँ उपलब्ध हैं । यहाँ पर प्रतिदिन देश-विदेश के सारे विश्व भर के लोग दिखाई देते हैं । यहाँ पर अनेक पचतारा होटल हैं जिनमे अनेक विदेशी लोग आकर ठहरते है ।
उपसंहार:
दिल्ली भारत कर हृदय स्थल है । यहाँ के हर स्थल देखने योग्य हैं । आज यहाँ केन्द्रीय सरकार के सभी बड़े कार्यालय विद्यमान हैं । भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अन्य मन्त्रियों के प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में ही स्थित हैं ।
दिल्ली प्राकृतिक जलवायु की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण क्यल है । जो भी एक बार दिल्ली रहने लगता है, पुन: दिल्ली से लौटना नहीं चाहता है । यह दिल्ली की ही विशेषता है जो बार-बार उजड़ने पर पुन: बसायी गयी है । प्रसिद्ध उर्दू शायर जौक ने कहा है:
“कौन जाये जौक ये दिल्ली की गलियों छोड़ के”