शरद जोशी । Biography of Sharad Joshi in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. जीवन वृत एवं रचनाकर्म ।
3. उपसंहार ।
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1. प्रस्तावना:
शरद जोशी हिन्दी के शीर्षस्थ व्यंग्यकार रहे है । दृष्टि एवं शैली में भिन्नता के बावजूद उनका व्यंग्य बेजोड है । उनकी शैली उदात्त है, जिसमें हास्य का पुट है । डॉ॰ इन्द्रनाथ मदान ने लिखा है: ”शरद जोशी सामाजिक, राजनीतिक असंगतियों पर, विकृतियों पर सीधी तिरछी चोट करते हैं । उनका व्यंग्य मंजा हुआ है ।”
उनके व्यंग्य में कलात्मकता है । उनकी भाषा पाठकों को गुदगुदाती है, खिझाती है । वे बड़ी आसानी से व्यंग्य में हास्य का पुट दे जाते हैं । उनका व्यंग्य फलक काफी विस्तृत है । जीवन का कोई भी कोना उनकी व्यंग्य की धार से नहीं बच पाया है ।
2. जीवन वृत्त एवं रचनाकर्म:
शरद जोशी का जन्म 2 मई, 1931 को उज्जैन म॰प्र॰ में हुआ । उन्होंने होल्कर कॉलेज इन्दौर से बी॰ए॰ किया । शरदजी ने दैनिक मध्यप्रदेश भोपाल से मासिक पत्रिका ”नवलेखन” तथा पाक्षिक हिन्दी पत्रिका का सम्पादन किया । 45 वर्षो तक अखबारों में वे छपते रहे । उनको 1990 में पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
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वे 35 वर्षो तक मंचीय कवि रहे । उनका निधन 5 सितम्बर, 1991 को बम्बई में हुआ । उनकी रचनाएं हैं: “अंधों का हाथी”, “एक था गधा उर्फ अलादादखां” {नाटक} ”यथासम्भव”, ”जीप पर सवार इल्लियां”, “हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे”, ”यत्र तत्र सर्वत्र”, “रहा बैठ किनारे”, ”पिछले दिनों”, ”दूसरी सतह”, ”मेरी श्रेष्ठ रचनाएं” ।
शरदजी हिन्दी के ऐसे सफल व्यंग्यकार रहे हैं, जिसमें व्यंग्य की धार के बीच हंसी की पिचकारी, राजनीति, धर्म, समाज ही नहीं, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की विदूपताओं पर जा पहुंचती है । मन्त्री, चुनाव, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, भारत की विदेश नीति पर उन्होंने जमकर व्यंग्य किया है ।
उदाहरण:
राजनीतिक पार्टियां जब चुनाव के उम्मीदवारों को टिकट देती हैं, तो वे उम्मीदवारों का जाति-वर्ग देखती हैं । चुनाव में रुपया खर्च करने की क्षमता देखती हैं । शहर के दादाओं और स्वयं दादागिरी करने की उसकी योग्यता के पीछे आश्वस्त होती हैं, इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में चरित्र कभी आड़े हाथों नहीं आता ।
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लोकहित और देश के विकास की जिम्मेदारी लेने वाले अधिकारी विकास की खेती को ऐसे चट कर रहे हैं, जिस तरह हरी फसल को इल्लियां चट कर जाती हैं । ”जीप पर सवार इल्लियों” के माध्यम से शरद जोशी का व्यंग्य देखिये: ”छोटे अफसर ने क्रोध से सारे खेत को देखा और फिर बोला-अच्छा खैर !
जरा हरा-हरा चना छांटकर साहब की जीप में रखवा दो । किसान खेत के चने के पौधे उखाड़ने लगा । छोटा अफसर सिर पर तना खड़ा था । एकाएक मुझे लगा कि जीप पर सवार तीन इल्लियां और बड़ी-बड़ी इल्लियां सिर्फ चना ही नहीं खा रहीं, सब कुछ खाती हैं । भ्रष्टाचार, बेकारी, महंगाई पर शरदजी ने बखूबी व्यंग्य किये हैं ।
पुलिस-व्यवस्था प्रशासन पर शरद जोशी का व्यंग्य कितना धारदार है:
”मैंने पुलिस आफिसर महोदय से पूछा कि उनकी रुचि किसमें है ? आप हत्याएं रोकना चाहते हैं या हत्यारों को पकड़ना चाहते हैं ? वे बोले, हत्याएं जिन कारणों से होती हैं, उसका हमारे विभाग से कोई सम्बन्ध नहीं है ।
आर्थिक कारणों से होती हैं, तो यह वित्त विभाग का मामला है । मनोवैज्ञानिक कारणों से होती हैं, तो आप जानते है कि यह मनोविज्ञान शिक्षा का विषय है । राजनीतिक कारणों से होती है, तो हम पुलिस वाले राजनीतिक मामलों में नहीं पड़ते । समाज, संस्कृतियों की विविध परिस्थितियों के साथ-साथ शरदजी ने उच्च व निम्न वर्ग की स्थितियों व सामयिक समस्याओं पर भी व्यंग्य प्रहार किये हैं ।
3. उपसंहार:
निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि शरद जोशी देश के ऐसे अग्रणी व्यंग्यकार हैं, जिन्होंने देश और समाज तथा परिवार की यथार्थ तस्वीरें अपनी आंखों के कैमरे से खींची हैं । उनका व्यंग्य हल्की मार के साथ तेज चोट भी करता है । व्यंग्य विधा को समृद्ध बनाने में शरद जोशी का विशिष्ट योगदान है ।