महावीर जयन्ती । “Mahaveer Jayanti” in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. महावीर जयन्ती का महत्त्व ।
3. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
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भारतीय समाज में जैन समुदाय अपना विशिष्ट स्थान रखता है । हिन्दू धर्म की तरह यह धर्म भी प्राणिमात्र के प्रति अहिंसा का भाव रखता है । त्याग, अपरिग्रह, नियम, संयम, सदाचार इस धर्म के आदर्श रहे हैं । जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे, जिन्होंने इस धर्म एवं सम्प्रदाय को अपनी सम्पूर्ण सिद्धि एवं साधना अर्पित की । सांसारिक सुखों का त्याग कर जैन मत का प्रवर्त्तन किया ।
”जिन” अर्थात् ‘जैन’ जिसने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया हो । महावीर स्वामी ने भी वर्षों साधना कर इसे प्राप्त किया था । लोगों में अपने ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया । इस महान् तीर्थंकर एवं धर्म प्रवर्तक का पवित्र स्मरण कर जैन धर्मावलम्बी इनकी जयन्ती अत्यन्त धूमधाम से मनाते हैं ।
2. महावीर जयन्ती का महत्त्व:
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महावीर जयन्ती के दिन जैन धर्मावलम्बी उनके प्रति असीम श्रद्धा भाव प्रकट करते हुए मन्दिरों में जाकर प्रार्थना और पूजा करते हैं । सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती है । जैन अनुयायी, जिसमें बाल-बच्चे, वृद्ध, जवान आदि श्वेत वस्त्र धारण कर महावीर स्वामी तथा अन्य तीर्थकरों की जय-जयकार कर जुलूस निकालते हैं । उनके रथों और पालकियों पर जैन साधु एवं साध्वियां विराजमान रहती हैं । महावीर स्वामी के उपदेशों एवं सिद्धान्तों का स्तुतिगान श्रद्धालुगण करते हैं ।
3. उपसंहार:
महावीर स्वामी ने जैन धर्म को 24 तीर्थकर के रूप में जो आदर्श दिये, उनका परिपालन जैन धर्मावलम्बी करते हैं । इस महान् आत्मा ने अपना सम्पूर्ण जीवन प्राणियों के कल्याणार्थ समर्पित कर दिया था । वर्षो के त्याग और तपस्या से जो ज्ञान उन्होंने प्राप्त किया था, उसे जनता तक पहुंचाकर उन्हें मोक्ष तथा निर्वाण का मार्ग सुझाया ।
इस देश की सभ्यता एवं संस्कृति को अहिंसा; अस्सेय, अपरिग्रह, संयम द्वारा परिपुष्ट करने वाले महावीर स्वामी ही थे । उनकी जयन्ती का पर्व प्रतिवर्ष माह अप्रैल में मनाया जाता है ।