Read this article in Hindi to learn about the influence of urban poverty and environment.
नगरीय क्षेत्रों में रहनेवाले गरीबों की संख्या तेजी से बढ़ रही है; दुनिया के एक-तिहाई गरीब नगरीय क्षेत्रों में रह रहे हैं । ये लोग गंदी बस्तियों की झोपड़ियों में रह रहे हैं तथा पानी की कमी और गंदी दशाओं के शिकार हैं । अधिकतर ऐसा देखा जाता है कि गंदी बस्ती में तो गंदगी का साम्राज्य होता है, पर खुद झोंपड़े अपेक्षाकृत साफ होते हैं । साफ वातावरण बनाए रखने के लिए जरूरी बुनियादी ढाँचे का आम तौर पर उन साझे क्षेत्रों में अभाव होता है जिनका प्रयोग समुदाय करता है ।
1990 के दशक में आर्थिक संकट झेलनेवाले देशों ने पाया कि वस्तुओं की घटती माँग के कारण गरीब नगरवासियों के रोजगार तो मारे गए जबकि खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ गईं । आज नगरीय क्षेत्रों में अच्छी आमदनी वाले स्थायी रोजगार उस तरह आसानी से उपलब्ध नहीं जैसे पिछले कुछ दशकों में थे ।
दुनिया में एक अरब नगरवासी अधिकतर गंदी बस्तियों में अपर्याप्त आवासों में रह रहे हैं, और अधिकांश ढाँचे अस्था यी हैं । ऊँची इमारतों में रहने वाले निम्न-आयवर्ग के लोगों की संख्या भी बहुत अधिक हो सकती है और वे नगरों के कुछ भागों में गंदगी के माहौल में रहते हैं ।
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गैरकानूनी गंदी बस्तियाँ अधिकतर सरकारी जमीनों पर, रेल लाइनों के किनारे, पहाड़ियों पर, नदियों और दलदली जमीनों के किनारे होती हैं जो नगरीय विकास के लिए उपयुक्त नहीं होतीं । नदियों के किनारे ये गरीब बाढ़ों के कारण बेघर हो जाते हैं । शहरी गरीबों के लिए पर्याप्त कानूनी आवास पर्यावरण का एक गंभीर प्रश्न है ।
नगरीय निर्धनता ग्रामीण निर्धनता से भी अधिक गंभीर होती है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों के विपरीत शहरों के गरीबों को अपेक्षाकृत साफ नदी-जल, जलावन और वनों के उत्पाद जैसे प्राकृतिक संसाधन सीधे उपलब्ध नहीं होते । आवश्यक वस्तुओं के खरीद के लिए शहरी गरीब केवल पैसे पर निर्भर होते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र में वे अपने अनाज का अच्छा-खासा भाग खुद उगाते हैं । शहरी गरीबों के जीवन की दशाएँ अकसर गाँवों के गरीबों से बुरी होती हैं ।
उद्योगों और वाहनों से निकले कणपदार्थों तथा सल्फर डाइआक्साइड के कारण घर-बाहर दोनों जगह वायु प्रदूषण होता है जिससे साँस के रोगों से होनेवाली मृत्यु की दर अधिक होती है । पर्यावरण संबंधी अधिकांश प्रयासों का लक्ष्य बाहर के वायु प्रदूषण को कम करना होता है, जबकि चूल्हों में जलावन लकड़ी, बेकार वस्तुओं और कोयले के उपयोग के कारण घर के अंदर का वायु प्रदूषण भी स्वास्थ्य के लिए उतनी ही बड़ी समस्या है । बेहतर बनावट वाले ‘धूमरहित’ चूल्हों और अंदर का धुआँ निकालनेवाली ढांपियों और चिमनियों के द्वारा इसे हल किया जा सकता है ।
नगरों की आबादी में वृद्धि के कारण अगले कुछ वर्षों में अकल्पनीय रूप से गंभीर एक नया संकट पैदा हो सकता है । अपराध की दरों, आतंकवाद, बेरोजगारी और पर्यावरण व स्वास्थ्य से संबंधित गंभीर प्रश्नों में वृद्धि की आशंका की जा सकती है । युद्धस्तर पर जनसंख्या वृद्धि में स्थिरता लाकर इन हालातों को बदला जा सकता है ।