Read this article in Hindi to learn about:- 1. Productive Value of Nature 2. Aesthetic/Recreational Value of Nature 3. The Optional Value of Nature.
प्रकृति का उत्पादक महत्व (Productive Value of Nature):
जैव-प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिकों द्वारा की गई नई-नई प्रगति के कारण अब हम समझने लगे हैं कि दुनिया की प्रजातियों में जटिल रसायनों की संख्या कितनी अविश्वसनीय और अनगिनत है । ये नई दवाओं और औद्योगिक उत्पादों के विकास के लिए कच्चा माल है, और ऐसा भंडार है जिससे भविष्य में हजारों नए उत्पादों का विकास किया जा सकता है । इस तरह फूल देने वाले पौधे और कीड़े, जो प्रजातियों की दृष्टि से जीवित प्राणियों के सबसे समृद्ध समूह हैं, मानव के भावी विकास के लिए महत्त्वपूर्ण हैं ।
अगर हम उनके आवास का ह्रास और नाश करते हैं तो ये प्रजातियाँ लुप्त हो जाएँगी । अगर हम गैरकानूनी ढंग से मारी गई जंगली प्रजातियों से बनी वस्तुओं का प्रयोग या विक्रय होते देखें और अधिकारियों को इसकी सूचना न दें तो हम भी उनके विलोप में भागीदार होंगे । एक बार कोई प्रजाति विलुप्त हो जाए तो मनुष्य उसे वापस नहीं ला सकता । अगर हम जंगलों, नमभूमियों या अन्य प्राकृतिक क्षेत्रों का विनाश होने दें और उसका विरोध न करें तो भावी पीढ़ियाँ इन बहुमूल्य संसाधनों के उपयोग से वंचित हो जाएँगी ।
इस तरह सभी जीवित प्राणियों की सुरक्षा ऐसी धारणा है जिसे समझना और जिस पर अमल करना हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है । व्यक्तिगत स्तर पर हम शायद सीधे-सीधे किसी प्रजाति के विनाश को न रोक सकें । लेकिन प्रजातियाँ जिन राष्ट्रीय पार्कों और अभयारण्यों में रहती हैं उनकी रक्षा करने के लिए मजबूत जनमत जगाना निर्वहनीय जीवन का एक अहम् पहलू है ।
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कृषि और वन के बीच गहरा संबंध है जो उसके उत्पादक मूल्य को दर्शाता है । फसलों की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि फलदार पेड़ों और वनस्पतियों के फूल कीडों, चमगादड़ों और परिंदों द्वारा परागित हों । लेकिन उनके जीवन-चक्र अकसर सुरक्षित जंगलों की माँग करते हैं ।
प्रकृति का सौंदर्य/मनोरंजन संबंधी महत्व (Aesthetic/Recreational Value of Nature):
प्रकृति का जो सौंदर्य और मनोरंजन संबंधी महत्त्व होता है वह पृथ्वी पर हमारे जीवन को आनंदमय बनाता है । यह काम अपेक्षाकृत हंगामारहित क्षेत्रों में राष्ट्रीय पार्कों और अभयारण्यों का विकास करके किया जा सकता है । किसी निर्जन क्षेत्र में समय बिताने के अनुभव का मनोरंजन संबंधी मूल्य तो होता ही है, वह एक अपार ज्ञानदायी अनुभव भी होता है । यह हममें प्रकृति के एकत्व की समझ पैदा करता है, और इस तथ्य की भी कि हम पारितंत्रों (ecosystems) के पेचीदा कार्यकलाप पर पूरी तरह निर्भर हैं ।
प्रकृति के सौंदर्य में पृथ्वी का हर पहलू सिमट आता है, चाहे वह जीवित हो या अजीवित । हम पर्वत की शान, समुद्र की शक्ति, जंगल की सुंदरता और रेगिस्तान के विशाल विस्तार को देखकर अचंभित होते हैं । इन्हीं परिदृश्यों ने और उनमें वानस्पतिक और जंतु जीवन की अपार विविधता ने मनुष्य के जीवन से संबंधित अनेक दर्शनशास्त्रों को जन्म दिया है । इसने कलाकारों को दृश्य कलाकृतियों की तथा लेखकों और कवियों को ऐसी रचनाओं के सृजन की प्रेरणा दी है जो हमारे जीवन को जीवंत बनाते हैं ।
किसी निर्जन प्रदेश में जाकर समय बिताने का अनुभव असाधारण रूप से आनंददायी होता है । इसे प्रकृति-पर्यटन या वन्यजीवन-पर्यटन या पारिस्थितिकी-पर्यटन भी कहा जाता है, और यह दुस्साहस भरे पर्यटन का भी एक पहलू है । मनोरंजन की ये सुविधाएँ सुखद अनुभव ही नहीं देतीं, बल्कि प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान और प्रेम का भाव भी पैदा करती हैं । ये पर्यावरण की नजाकत और निर्वहनीय जीवनशैलियों की आवश्यकता के बारे में जनता को शिक्षित करने के बुनियादी साधन भी हैं ।
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एक नगरीय परिवेश में हरे-भरे क्षेत्र और बाग-बगीचे नगरवासियों के मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य हैं । उनका सौंदर्य देखने योग्य तो होता ही है, वे यह भी सुनिश्चित करती हैं कि हर व्यक्ति को एक सीमा तक सुख-चैन मिल सके । इसलिए नगरों के पर्यावरण की योजना बनाने वालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बढ़ते नगरीय आवास समूहों में ऐसी सुविधाएँ शामिल हों ।
नगरीय परिवेशों में संरक्षण-शिक्षा देने का एक और महत्त्वपूर्ण तरीका यह है कि सुंदर रूपरेखा और समुचित प्रबंध वाले प्राणिउद्यान और मत्स्यताल कायम किए जाएँ । विद्यालयी छात्रों को वन्यजीवन के प्रति संवेदनशील बनाने में इनका बहुत महत्त्व होता है । अनेक नौजवान जो बचपन में प्रायः प्राणिउद्यानों में जाते थे, आगे चलकर वन्यजीवन से प्रेम करने लगते हैं और संरक्षणशास्त्री बन जाते हैं ।
ऐसे क्षेत्रों में जहाँ प्राणी या वनस्पति उद्यान जैसे संरक्षित क्षेत्र न हों, वहाँ छोटे-छोटे ऐसे प्रकृति सचेतना क्षेत्र (nature awareness areas) कायम किए जा सकते हैं जो प्राकृतिक पारितंत्र की नकल हों और जिनकी विशेषताओं के बारे में लोगों को समझाया जा सके ।
ऐसे तरीके लोगों में प्रकृति संरक्षण सचेतना और जागरूकता जगाने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण साबित हो सकते हैं । एक छोटे-से बगीचे में, घास के मैदान में, ताल के पारितंत्र में अथवा किसी शांत नदी या समुद्र के तट पर इनको कायम किया जा सकता है । लोगों को इससे लगातार कम होती जा रही वनसंपदा आदि की सुरक्षा का महत्त्व समझने में आसानी होगी ।
प्रकृति का विकल्पीय महत्व (The Optional Value of Nature):
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हम प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करते हैं और उनके लाभ उठाते हैं । लेकिन हमें यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि दैनिक जीवन में हमारी हर किया का प्रकृति की अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । मसलन, अगर हम अपने सारे संसाधनों का इस्तेमाल कर लें, पृथ्वी पर पौधों और जीवों की प्रजातियों को मार डालें या विलुप्त हो जाने दें, वायु और जल को प्रदूषित करें, भूमि को बेकार बना डालें और अपार मात्रा में व्यर्थ पदार्थ पैदा करें तो वर्तमान पीढ़ी अपनी भावी पीढ़ियों के लिए कुछ नहीं छोड़ पाएगी ।
वर्तमान पीढ़ी ने जीवन के अनिर्वहनीय ढर्रों पर अपनी अर्थव्यवस्थाओं और जीवनशैलियों का विकास किया है । लेकिन प्रकृति उसकी वस्तुओं और सेवाओं का कैसे उपयोग किया जाए, इसके बारे में अनेक विकल्प देती है । यही उसका ‘विकल्पीय महत्त्व’ है ।
हम लोभी की तरह उसकी वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करके उसकी अखंडता और उसके दीर्घकालिक महत्त्व को खत्म कर सकते हैं या फिर उसके संसाधनों का निर्वहनीय उपयोग करके पर्यावरण पर अपने कार्यकलाप से पड़ रहे दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं । यह विकल्प हमें उसके संसाधनों का निर्वहनीय उपयोग करने की और भविष्य के लिए उसकी वस्तुओं और सेवाओं का संरक्षण करने की प्रेरणा देता है ।