Read this article in Hindi language to learn about the features of DWCRA scheme, initiated by the government of India for the welfare of rural women and children.
भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के विकास (डीडब्ल्यूसीआरए) की योजना को 1982-1983 में प्रायोगिक तौर पर 50 जिलों में शुरू किया था । इस योजना का मुख्य लक्ष्य था ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं व बच्चों का विकास करना । डीडब्ल्यूसीआरए की योजना मुख्यत: ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब महिलाओं को लाभ पहुँचाने के लिये शुरू की गई थी ।
योजना का विस्तार (Extension of Schemes):
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इस योजना की शुरुआत के बाद से सन् 1996-97 तक 87,918 डीडब्ल्यूसीआरए समूहों का निर्माण किया गया था । DWCRA समूहों में 30,39,383 ग्रामीण गरीब महिलाओं को कवर किया गया तथा योजना पर होने वाला व्यय कुल Rs 24,895 सरकार द्वारा डीडब्ल्यूसीआरए योजना को मजबूत करने के लिये कई कार्यक्रम चलाए गये ।
अंत में आठवीं पंचवर्षीय योजना में कई बार पहल करने के पश्चात् प्रोत्साहन प्राप्त हुआ जिससे इस योजना का विस्तार हुआ । आठवीं पंचवर्षीय योजना के बाद डीडब्ल्यूसीआरए योजना को देश के सभी जिलों में विस्तृत किया गया तथा जिलों की परिक्रामी निधि को बढ़ाकर Rs 25,000 कर दिया गया ।
डीडब्ल्यूसीआरए की वृद्धि जिलों के दुर्गम क्षेत्रों और दूर-दराज क्षेत्रों में की गई तथा साथ ही छोटे-छोटे डीडब्ल्यूसीआरए के समूहों का गठन करने की अनुमति प्रदान की गई । नवीं पंचवर्षीय योजना में देश के समस्त जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है ।
डीडब्ल्यूसीआरए का संचालन:
योजना में शामिल समूह से आयोजक चुने गये, समूह आयोजक से समूह के लिये कोषाध्यक्ष का चुनाव किया गया जो धन का प्रबन्धन करने की जिम्मेदारी वहन करते हैं, इस योजना में कार्यरत सेविकाओं (Sevikas) को भी अधिकार मिला कि वे समूह के कोषाध्याक्ष के लिए स्वयं को सक्षम समझें व कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी वहन करें, समूह का एक सदस्य डीडब्ल्यूसीआरए महिलाओं के बच्चों की देखभाल करने के लिये अपनी सेवाएँ प्रदान करता है ।
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यह सुविधा डीडब्ल्यूसीआरए के सभी समूहों में दी गई जिसे बाल देखभाल क्रियाएँ (सीसीए) (Child Care Activities) कहा गया । सीसीए को 1995-96 में डीडब्ल्यूसीआरए कार्यक्रम में पेश किया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य डीडब्ल्यूसीआरए महिलाओं के बच्चों की देखभाल करना था ।
डीडब्लयूसीआरए समूहों के गठन की मुख्य विशेषताएँ (Salient Features of DWCRA):
i. डीडब्ल्यूसीआरए एक स्वरोजगार योजना है ।
ii. इस योजना मुख्य विशेषता व उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब महिलाओं की आर्थिक व सामाजिक स्थिति में सुधार लाया जाये ।
iii. इन महिलाओं को आय सृजन करने वाली गतिविधियों में लगाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाये ।
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iv. इस योजना के अन्तर्गत ग्रामीण महिलाओं तक बुनियादी सामाजिक सेवाओं को पहुँचाना है तथा उसके लिये अवसर प्रदान करना जिससे ग्रामीण महिलाओं व बच्चों की स्थिति में सुधार हो सके ।
v. इस कार्यक्रम की मुख्य रणनीति के अन्तर्गत ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वरोजगार तथा उच्च कुशलता के लिये प्रशिक्षण ऋण तथा अन्य सहायता को उपयोग करना आता है ।
vi. इस कार्यक्रम में महिलाओं को एक समूह के रूप में लिया जाता है, इस समूह में 10-15 महिलाओं को लिया जा सकता है ।
vii. इस समूह की महिलाओं को डीडब्ल्यूसीआरए योजना के अन्तर्गत अपनी आय अधिक बढ़ाने के लिये व सृजन करने की गतिविधियों में प्रशिक्षित किया ताकि वे अपनी पारिवारिक आय बढा सकें व बच्चों की देखभाल तथा पढाई-लिखाई अच्छी तरह करा सके ।
viii. इस योजना में गरीब ग्रामाण महिलाओं को बचत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तथा ऋण की आदत का निर्माण करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिये भी प्रोत्साहित किया जाता है ।
ix. इस कार्यक्रम का लक्ष्य है: निर्धारित समूह परिवार के जीवन कल्याण और गुणवत्ता में सुधार के लिये: ”परिवार कल्याण, स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा, बच्चों की देखभाल, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और शरण जैसी अन्य सेवाओं” को भी शामिल किये जाने की परिकल्पना की गई है ।
योजना में शामिल किये गये कार्य:
इस योजना के अन्तर्गत कार्यों के लिये ग्रामीण गरीब महिलाओं को ऋण की सुविधा प्रदान की गई ।
ये कार्य स्वरोजगार में शामिल किये गये जो निम्न प्रकार के हैं:
i. सिलाई,
ii. कढ़ाई,
iii. नकाशी,
iv. टोकरी बनाना,
v. अगरबत्ती बनाना,
vi. मुर्गीपालन,
vii. डेयरी,
viii.सुअर पालन,
ix. बकरी पालन,
x. मधुमक्खी पालन।
मशरूम की खेती तथा फल व सब्जी का प्रसंस्करण (Preservation) ।
इन सभी कार्यों को करने के लिये ऋण देने के साथ-साथ ग्रामीण गरीब महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि वे कार्य को कुशलतापूर्वक कर सकें ।
डीडबल्यूसीआरए योजना का प्रचार:
इस योजना का प्रचार निम्न माध्यम से किया जा रहा है:
i. एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (आईआरडीपी),
ii. सम्पूर्ण साक्षरता अभियान (टीएलसी) के द्वारा,
iii. कालाजथा (Kalajatha) के द्वारा,
iv. ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से,
v. मल्टी मीडिया प्रचार अभियान-दूरदर्शन तथा प्रिंट मीडिया द्वारा,
vi. युवा नेताओं द्वारा,
vii. महिला मंडलों द्वारा,
viii. स्वैच्छिक संगठनों और सरकारी कार्यकर्त्ताओं द्वारा ।