Read this article in Hindi language to learn about the top nine factors influencing the selection of apparel.
व्यक्ति को अपने लिये कपड़ों का चयन खूब सोच-विचारकर करना चाहिये ताकि कम से कम धन में अपने लिये अच्छे से अच्छे वस्त्र खरीद सके । कपड़े व्यक्ति की आयु-लिंग, व्यक्तित्व, मौसम व अवसर के अनुसार होने चाहिए । वस्त्रों को चयन करने के कुछ कारक सामान्य होते हैं परन्तु भिन्न-भिन्न लोगों में इन कारकों में कुछ भिन्नता आ जाती है ।
वस्त्रों के चयन को निम्न कारक प्रभावित करते हैं:
Factor # 1. व्यक्तित्व (Personality):
वस्त्रों के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व, संस्कार व संस्कृति के बारे में अत्यंत आसानी से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है । हर व्यक्ति का व्यक्तित्व भिन्न-भिन्न होता है । अत: व्यक्ति के व्यक्तित्व को अधिक सुन्दर व आकर्षक बनाने व अवगुणों को छिपाने में वस्त्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है ।
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यदि वस्त्र व्यक्ति के व्यक्तित्व के अनुसार नहीं होते हैं तो वह देखने में अत्यन्त भद्दा लगेगा तथा बाहर के लोग उसका मजाक उड़ायेंगे । अनुचित वस्त्रों से व्यक्ति में हीन भावना जाग्रत होती है, उसके स्थान पर उचित प्रकार के परिधान धारण करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास उत्पन्न हो जाता है, जिससे व्यक्ति के व्यक्तित्व का उचित विकास होता है ।
उचित परिधान पहनने से व्यक्ति को प्रसन्नता प्राप्त होती है, जिसका प्रभाव उसके प्रतिदिन के आचार-विचार व जीवन-शैली पर पड़ता है, उसका व्यक्तित्व खिल उठता है । वस्त्रों की समस्या मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक होती है, क्योंकि ये लोगों के, विशेषकर युवा वर्ग के लोगों के विकास और खुशी को प्रभावित करते हैं ।
व्यक्ति के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण तत्व जिससे उसका मूल्य का जाता है, वह व्यक्ति का परिधान है । हमारे जीवन में सामाजिक स्वीकृति व्यक्तित्व के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि हमारा व्यवहार इसी से अनुबन्धित है तथा इसी पर आश्रित है । वस्त्रों से व्यक्ति की जाति, प्रांत, स्थान व व्यवसाय आदि के बारे में सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है ।
वस्त्रों से व्यक्ति का व्यक्तित्व निम्न प्रकार से प्रभावित होता है:
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जो लोग शांत व कम बोलते हैं उन्हें हल्के या सोफियाने रंग के कपड़े अधिक प्रभावित करते हैं व पसंद आते हैं । परन्तु जो व्यक्ति अधिक बोलते हैं उन्हें अधिकतर शोख व चंचल रंग पसंद आते हैं । अधिक रौबदार प्रतिष्ठित व शानदार व्यक्तित्व वाले लोगों पर बड़े नमूनों वाले व सीधी रेखाओं वाले परिधान अधिक फबते हैं वह उनके सामान्य गुणों को उभारने में सहायक होते हैं ।
कुछ व्यक्तियों का स्वभाव कोमल होता है, उनके ऊपर हल्के सोफियाने रंग तथा कोमल नमूनों के परिधान अधिक शोभा देते हैं तथा उनके व्यक्तित्व में निखार लाते हैं । कुछ परिधान खास पदों के लिये ही निश्चित किये जाते हैं जो उनके व्यक्तित्व को उभारने का कार्य करते हैं । उदाहरण स्वरूप: डॉक्टर व नर्स हमेशा सफेद कोट ही पहनते हैं, जबकि वकील को काला कोट पहनना पड़ता है ।
वस्त्रों से व्यक्ति के सामाजिक जीवन-शैली का अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है तथा उसकी अभिरुचि का ज्ञान होता है । यदि कोई व्यक्ति गम्भीर प्रकृति का है तो वह हमेशा स्वच्छ तथा सादगी से पूर्ण वस्त्रों को धारण करेगा ।
Factor # 2. धन की उपलब्धता (Availability of Money):
वस्त्रों का चयन करते समय स्वयं के पास उपलब्ध धन तथा खर्च करने की क्षमता पर भी विशेष ध्यान रखना चाहिये । अधिकतर लोग फैशन व नई स्टाइल के कपड़े खरीदते हैं जो कि अधिक महँगे होते हैं । कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कि बिना सोचे-समझे वस्त्र खरीदकर धन का अपव्यय करते हैं ।
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अत: वस्त्र खरीदते समय धन से सम्बन्धित निर्णय लेने के लिये निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिये: ऐसा देखा गया है कि व्यक्ति की आय व धन की उपलब्धता का सीधा प्रभाव वस्त्रों की खरीददारी पर पड़ता है । यह स्पष्ट होता है कि आय जितनी अधिक होगी वस्त्रों पर खर्च उतना ही अधिक होगा ।
परिवार के सभी सदस्य कामकाजी हैं तो उन्हें पहनने के लिए अधिक वस्त्रों की आवश्यकता होगी तथा उनकी कुल आय का अधिक भाग वस्त्रों पर खर्च होगा । इसका मुख्य कारण है कि काम पर जाने वालों को अपनी वेशभूषा का एक स्तर निर्धारित करना पड़ता है ।
यदि परिवार छोटा है तथा आय कम है तो परिवार अपनी मूल आवश्यकताओं पर पहले खर्च करता है उसके पश्चात् बचे धन को वस्त्रों पर व्यय करता है । यदि परिवार छोटा है तथा आय अधिक है तो वस्त्रों पर होने वाला खर्च अधिक होगा ।
परिवार के सदस्यों की आयु भी वस्त्रों के लिये उपलब्ध धन को प्रभावित करती है । शिशु बालकों व किशोर-किशोरियों के वस्त्रों पर अधिक धन व्यय होता है । इसी प्रकार किशोरियों के परिधान पर माँ से अधिक खर्च होगा । आजकल बाजार में नित नये-नये फैशन व स्टाइल के कपड़े आ रहे हैं, जो कि किशोरियों को अधिक आकर्षित करते हैं । अत: धन का दुरुपयोग करने से बचना चाहिये ।
परिवार को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि यदि उनके पास अधिक धनराशि है तो यह जरूरी नहीं कि वस्त्रों की खरीददारी पर धनराशि का दुरुपयोग किया जाये, जितने ज्यादा कपड़े होंगे उतने ही वे उपयोग नहीं हो पायेंगे तथा रखे-रखे खराब हो जायेंगे । इस प्रकार के धन के दुरुपयोग से बचना चाहिये ।
Factor # 3. आयु के अनुसार वस्त्रों का चयन: (Selection of Clothing According to Age):
परिवार में विभिन्न आयु के सदस्य होते हैं, जिन्हें परिधानों की आवश्यकता होती है । अत: आयु का फैशन, रंग तथा कपड़ों से आपसी सम्बन्ध अत्यंत महत्वपूर्ण होता है । इसलिये वस्त्रों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि व्यक्ति किस आयु का है ।
(i) शिशुओं के लिये वस्त्रों का चयन (Selection of Clothing for Infants):
नवजात शिशुओं के लिये पतले, मुलायम, ढीले-ढीले व आगे से खुले वस्त्रों का चयन करना चाहिए जिससे उन्हें आराम मिले क्योंकि नवजात शिशु लेटा रहता है ।
शिशुओं के वस्त्र जल्दी-जल्दी गंदे होते हैं अत: उनको ऐसे कपड़े बनाने चाहिये जो कि आसानी से धुल जाएं । शिशुओं के लिये 100% सूती कपड़ों से बने वस्त्रों का प्रयोग करना त्रहिये, सिंथेटिक या रेशमी कपड़ों से शिशु को आराम नहीं मिलता ।
शिशु के वस्त्र ऐसे हों जो दे आसानी से सिर से चले जाएं यानि कि वस्त्र आगे से, पीछे से या ऊपर से खुले होने चाहिये । यह अच्छा होगा कि बटनों के स्थान पर कपड़ों से बनी बँधने वाली डोरियाँ लगी हों क्योंकि बटन शिशु को चुभ सकते हैं ।
शिशुओं के वस्त्रों में अधिक स्टार्च नहीं लगा होना चाहिये । इसके साथ-साथ ढीले इलास्टिक वाले कपड़ों का प्रयोग करना चाहिये । शिशुओं के वस्त्र संख्या में अधिक होने चाहिये क्योंकि शिशु के वस्त्र जल्दी-जल्दी गंदे व गीले होते रहते हैं जिन्हें जल्दी बदलना चाहिये । शिशुओं की वृद्धि तीव्र गति से होती है तथा वस्त्र जल्दी ही छोटे हो जाते हैं । अत: वस्त्रों की मजबूती पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिये ।
(ii) बालकों के लिये वस्त्रों का चयन (Selection of Clothing for Children):
बच्चे के बड़े होने पर उनका समय खेल-कूद में अधिक व्यतीत होता है । अत: उनके वस्त्रों का कपड़ा अधिक मजबूत, टिकाऊ व आसानी से धुलने वाला होना चाहिये । इस आयु के बच्चों के लिये सुन्दर-चटक रंग वस्त्रों का चयन करना चाहिये ।
अधिक महँगे वस्त्रों में हमेशा सिलाई के साथ अधिक दबाव की गुन्जाइश भी देखनी चाहिये जिससे बच्चे की वृद्धि होने पर दबाव को खोलकर वस्त्र को बड़ा किया जा सके । वस्त्रों का आकार व साइज (size) बच्चों की आयु के अनुसार होना चाहिये न ज्यादा छोटा और न बड़ा हो ।
इसके साथ-साथ वस्त्र अधिक कसे भी नहीं होने चाहिये जिससे बच्चे की वृद्धि में रुकावट हो । बच्चों के वस्त्र रंग उड़े, बेढंग व भद्दे नहीं होने चाहिये क्योंकि ऐसे वस्त्र पहनकर बच्चा अपने साथियों के साथ खेलने में संकोच करेगा व हीन भावना से ग्रसित होगा ।
(iii) किशोर व किशोरियों के लिये वस्त्रों का चयन (Selection of Clothing for Adolescence):
इस आयु में किशोर व किशोरियाँ अपने आपको अधिक सुन्दर व आकर्षक दिखाने की कोशिश करते हैं । अत: इस आयु वर्ग के लिये सुन्दर, आकर्षक व फैशन के अनुसार वस्त्रों का चयन करना चाहिए । इस आयु में उमंग, ताजगी व उत्साह अधिक होता है ।
अत: इनके लिये चटकीले व शोख कपड़े अधिक अच्छे लगते हैं । युवाओं के वस्त्र प्रचलित फैशन व स्टाइल के होने चाहिये ताकि उन्हें पहनकर वे ताजगी व आत्मविश्वास से भर उठें । अधिकांशत: किशोर व किशोरियाँ अपनी पसंद के वस्त्र ही पहनना चाहते हैं । अत: माता-पिता या घर के बुजुर्ग को इनमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये परंतु वस्त्र की अश्लीलता पर माता-पिता को अवश्य ही ध्यान देना चाहिये ।
(iv) प्रौढों लिये वस्त्रों का चयन (Selection of Clothes for Adults):
आयु बढ़ने के साथ-साथ वस्त्रों के चयन करने की शैली भी बदल जाती है । इस आयु में साधारण व सादे कपड़े पहनना अच्छा लगता है । वस्त्रों का चयन त्वचा के रंग, आयु शरीर की बनावट व गठन के बारे में अच्छी तरह जानकारी लेकर ही करना चाहिए । इस आयु में फैशन को महत्व न देकर व्यवसाय, मौसम व अवसर तथा मूल्य पर अधिक ध्यान देना चाहिये ।
(v) वृद्धों के लिये वस्त्रों का चयन (Selection of Clothes for Old):
इस अवस्था के लिये वस्त्रों का चयन करने में कुछ मुश्किलें आती हैं । इस अवस्था मैं व ढीले-ढाले वस्त्रों का चुनाव करना चाहिये क्योंकि इस अवस्था में शरीर की लचक कम हो जाती है तथा इन्हें आरामदायक वस्त्रों की आवश्यकता होती है ।
वृद्धों के लिये उम्र के अनुसार वस्त्रों का चयन करना चाहिये । वस्त्र हल्के-फुल्के हों तथा आसानी से उनको पहना जा सके । इस आयु में आँख से कम दिखता है अत: वस्त्रों में हुक के मगन पर काज-बटन लगे होने से सुविधा होती है ।
जहाँ तक हो देख लेना चाहिये की वस्त्रों की सिलाई मजबूत हो । वस्त्रों के डिजाइन सुन्दर व सरल हों तथा प्रतिवर्ती हों । परिधान ऐसे कपड़ों के सिले हों जो दाग व क्रीज अवरोधक हो तथा आसानी से उनकी धुलाई हो सके क्योंकि इस आयु में कपड़ों को बार-बार धोने व प्रेस करने में कठिनाई होती है ।
Factor # 4. जलवायु व मौसम (Climate and Season):
वस्त्रों का गौण एवं महत्वपूर्ण कार्य है: शरीर को ढकना व सुरक्षा प्रदान करना । वस्त्र सर्दी व गर्मी के मौसम में हमारे शरीर के तापक्रम से रक्षा करते हैं । वस्त्र शरीर के तापक्रम को विपरीत परिस्थितियों में भी संतुलित बनाये रखते हैं ।
अत: यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति को मौसम के अनुसार वस्त्र चयन करने, खरीदने व पहनने का पूर्ण ज्ञान होना चाहिये । हमारे देश के उत्तर भारत में ठंड अधिक पड़ती है, जिसके लिये ऊनी वस्त्रों की आवश्यकता होती है । ऊनी वस्त्र अधिक महँगे होते हैं तथा उनका रख-रखाव सावधानी से किया जाता है ।
देश के दक्षिण भाग में ठंड नहीं पड़ती अत: इस भाग के लोगों के लिए सूती व रेशमी कपड़े अधिक आरामदायक होते हैं । किसी-किसी राज्य में बरसात के मौसम में हल्के ऊनी कपडों की आवश्यकता होती है । गरम रेगिस्तानी भागों में रहने वालों को तेज सूर्य की गर्मी की जलन से बचने के लिए मोटे भारी व लम्बे वस्त्र पहनने पड़ते हैं मुख्यतया डेकरीन गुजरात व राजस्थान के रेगिस्तान में । पहाड़ी इलाकों में अत्यधिक ठंड में घर के कपड़े या जानवरों की खाल के कपड़े भी पहनने पड़ते हैं ।
ठंड के दिनों में मोटे, गर्म व चटक रंग के वस्त्र अनुकूल होते हैं परन्तु गर्मी में हल्के रंग के व मुलायम वस्त्र आरामदायक होते हैं । खादी के वस्त्र सर्दी व गर्मी दोनों के लिये आरामदायक होने है क्योंकि मोटे होने के कारण सर्दी में खादी गर्म रहती है तथा गर्मी में पसीना सोखकर गर्म हवा के सम्पर्क में शरीर को ठंडा रखती है ।
बारिश के मौसम में सिंथेटिक कपड़े अनुकूल होते हैं क्योंकि ये वस्त्र पनि नहीं सोखते व जल्दी-सूख जाते हैं तथा इन पर भी प्रकार की सिलवटें नहीं आती हैं । इस प्रकार यहाँ स्पष्ट होता है कि जलवायु व मौसम के अनुसार वस्त्रों का चयन करके से पहनने से व सामने से देखने वाले, दोनों की आंखों को सुन्दर लगता है; जैसे: यदि गर्मी में लू के मौसम में चटक व सिल्क वस्त्र पहने जाएँ तो स्वयं को परेशानी तो होगी साथ ही साथ देखने वाले व्यक्ति को भी देखकर घबराहट जायेगी ।
Factor # 5. अवसर (Occasion):
वस्त्रों के चयन में अवसर का स्थान भी महत्वपूर्ण है । वस्त्रों को अवसर के अनुकूल होना चाहिए । यदि कोई व्यक्ति अवसर व स्थान को ध्यान में न रखकर वस्त्रों को पहनता है तो लोगों की आँखों में विचित्र बैठेगा व भद्दा दिखेगा ।
अत: वस्त्रों का चुनाव अवसर के अनुसार निम्न प्रकार से होना चाहिए:
Factor # 6. व्यवसाय (Occupation):
वस्त्रों का सम्बन्ध व्यवसाय से भी होता है । हमारे पास औपचारिक या अनौपचारिक (Formal and Informal) दोनों ही प्रकार के वस्त्र होते हैं ।
निम्न व्यवसायों में औपचारिक परिधान पहनने की आवश्यकता होती है:
i. स्कूल-कॉलेज में विशेष ड्रेस कोड होता है ।
ii. ऑफिस में चपरासियों के लिए खाकी या सफ़ेद ड्रेस ।
iii. आर्मी, एयरफोर्स व नेवी में काम करने वालों व्यक्तियों के लिए विशेष ड्रेस होती है ।
iv. कारखानों में, पुलिस, रेलवे, अस्पताल में काम करने वाले व्यक्तियों के लिए विशेष पोशाक होती है ।
v. डॉक्टर व नर्स के लिए सफ़ेद व कीटाणु रहित परिधान होता हैं ।
vi. यदि किसी व्यक्ति को व्यवसाय में अधिक सफर करना पड़ता है तो उसके लिये बिना सिल्वर व आसानी से धुलने वाले वस्त्र अच्छे होंगे । जैसे: टेरीकॉट, डेकरॉन या नायलॉन ।
vii. योगा व व्यायाम सिखाने वालो के कपड़े ढीले-ढाले व सुविधाजनक हों ताकि ट्रेनर को सिखाने में आसानी हो ।
viii. तैयारी करने वालों के लिये भी स्वमिंग कॉस्ट्यूम होते हैं ।
ix. प्रयोगशालाओं में कार्यरत लोगों के लिये भी अलग प्रकार की पोशाक होती है ।
x. खिलाड़ियों को मजबूत व छिद्रयुक्त कपड़ों के परिधान पहनने चाहिये ताकि पसीना त्वचा से न चिपके ।
xi. कार्य पर जाने वालों के वस्त्र औपचारिक होने चाहिए तथा वस्त्र साफ-साफ सुथरे हों, परिधान से अश्लीलता या असभ्यता न दिखे । अत: व्यक्ति को ऐसे परिधान पहनकर कार्य पर जाना चाहिये जिससे उसके काम में बाधा न आये ।
Factor # 7. शारीरिक बनावट: (Body Structure):
वस्त्र हमारे शरीर के शारीरिक दोषों को ढक देते हैं । अत: हमें ऐसे परिधान का चयन करना चाहिये जो कि शारीरिक दोष को छिपाकर हमारे व्यक्तित्व में निखार लाएं । प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की बनावट अलग-अलग होती है ।
कुछ लोग छोटे, कुछ लोग अधिक मोटे, कुछ अधिक लम्बे, कुछ अधिक पतले होते हैं । काफी लोग सामान्य लम्बाई व वजन वाले होते हैं । प्रत्येक व्यक्ति को परिधान चयन करते समय केवल फैशन पर ही ध्यान नहीं देना चाहिये अपितु उसे अपने शरीर के आकार के अनुसार ही वस्त्र धारण करना चाहिये ।
सभी व्यक्तियों पर हर प्रकार के कपड़े अच्छे नहीं लगते । शारीरिक संरचना कैसी भी हो परिधान इस प्रकार का चयन करना चाहिए कि शारीरिक बनावट सुन्दर लगे । यदि हम रंग व परिधान का चयन ठीक व उचित प्रकार से करते हैं तो वह हमारे शारीरिक गुणों को उभारता है तथा बेढंगे आकार को छिपाता है ।
लम्बी महिला पर आड़ी धारी की साड़ी उसकी लम्बाई को कम दिखाती है । परन्तु नाटी महिला को खड़ी धारी की साड़ी पहननी चाहिये ताकि वह लम्बी दिखे । इस प्रकार परिधान चयन करते समय रंग का ध्यान भी रखना आवश्यक होता है, जैसे साड़ी व ब्लाउज का रंग मैच करना चाहिये ।
यदि हम बाजार व शारीरिक बनावट के अनुसार रेडीमेड वस्त्र खरीदते हैं तो वह हर व्यक्ति के शरीर के आकार के अनुसार नहीं होते इसलिये मोटे व्यक्ति को पतले व कोमल वस्त्र तथा दुबले-पतले लोगों को शरीर फुलाने वाले; जैसे: टाटा या आग्रेडी के वस्त्र का उपयोग करना चाहिये । लम्बी महिला पर बड़े-बड़े फूलों की साड़ी जचेगी ।
Factor # 8. वस्त्रों की देख-रेख (Maintenance of Clothing):
हमें ऐसे वस्त्र खरीदने चाहिये जिनकी आसानी से देख-रेख की जा सके । परिधान ऐसा होना चाहिये जिसे आसानी से धोया व इस्तरी किया जा सके । इसके साथ-साथ उनको संग्रह करने के लिये पर्याप्त स्थान होना चाहिये ।
Factor # 9. फैशन व शैली (Fashion and Styles):
समय के अनुसार परिधान सम्बन्धी आस्थाएँ निरन्तर परिवर्तित होती रहती हैं । बदलती आस्थाएं सांस्कृतिक प्रगति की सूचक हैं । रेडीमेड परिधान में प्रचलित फैशन तथा शैली का होना आवश्यक है । ऊपर पहनने वाले वस्त्रों में इस दृष्टि से सज्जा, सजावट, बाहय रेखा, लम्बाई, घेर, चुन्नट, झालर, ग्रीवा रेखा, आस्तीन आदि में फैशन देखा जाता है तथा उसको महत्व देते हुए वस्त्रों का चयन करना चाहिये ।
परिधान के कटान और शैली में बाहय रेखा का भी महत्व है । जो बाह्य रेखा परिधान की लम्बाई की सिलाई के द्वारा बनती है, हमेशा उसी सिलाई को महत्व देना चाहिये जो कि फिगर के अनुरूप हो । अत: निर्णय उसी के पक्ष में लेना चाहिये ।
सामाजिक परिवेश और आस-पास के माहौल के अनुरूप ही रेडीमेड परिधान का चुनाव करना चाहिए । विवाह-शादी के अवसर के परिधान फैशन व मूल्य के अनुरूप होने चाहिये । विवाह में रंग-बिरंगे, बनारसी साड़ी, भारी सलमें-सितारे तथा जरी के वस्त्र का चयन करना चाहिये ।